अति गरीब महिलाएं
हरिगीतिका छंद
अति गरीब महिलाएं
अधिक दौलत का लोग कभी न, है मुख खिलता गुलाब।
देह निर्बल और अर्धनग्न,
है जीवन लाजवाब।
हाथ कंगन न पैरों नूपुर,
हैं झुमका न हार,
न कजरा न बालों में गजरा, है यह कैसा शिंगार।
लाए हरित पर्ण चुन-चुन कर,
दोने बनाना काम।
निसदिन के कठोर परिश्रम से,
चलता इनका धाम।
कैसा महकता तन लावण्य,
रुत बसंती छा रही।
रिझाने निसदिन अपना सनम
गजगामिनी आ रही।
ललिता कश्यप गांव सायर जिला बिलासपुर ( हि० प्र०)