अति आत्मविश्वास
अति आत्मिश्वास –
ठाकुर शिखर सिंह इलाके के बहुत बड़े जमींदार थे खेती बारी रुतबा रसूख बहुत था। ठाकुर साहब की तीन बेटियां थी एव तीन ही बेटे थे ।ठाकुर साहब ने गांव में कहे या जवार में पहला ट्यूबवेल लगवाया जिसके कारण गांव में बिजली आयी ।ठाकुर साहब ने अपनी दूसरी बेटी आभा का विवाह तय किया और बड़े धूम धाम से विवाहोत्सव आयोजित करने का फैसला किया।
चूंकि गांव में बिजली आ चुकी थी अतः उन्होंने बिजली के झलरों से घर की जबजस्त सजावट कराई।
बिजली का कनेक्शन ठाकुर साहब के ट्यूबवेल से घर के लिए देने की बात आई तब ठाकुर साहब ने बिजली बिभाग के कर्मचारी दयाल को बुलाया। दयाल वैसे तो बिजली के कार्य मे बहुत दक्ष था लेकिन वह आत्म विश्वास से अतिरेक भी था ।
दयाल बिजली का कनेक्सकन देने के लिए दांत में बिजली का तार दबाए था तार का एक सिरा नीचे लटक रहा था वह बिजली के खम्भे पर ऐसे चढ़ गया जैसे बंदर झट से कही भी चढ़ जाते है। लेकिन दयाल जल्दी बाजी में दांत में दबाए तार के दूसरे सिरे से विल्कुल लापरवाह बेखौफ था दयाल ज्यो ही बिजली के खम्भे पर चढ़ा दांत में पकड़े तार का दूसरा सिरा पोल के नीचे के तार से चिपक गया जिसके कारण उसके शरीर में चार सौ चालीस
बोल्ट का करेंट दौड़ गया वह बिजली के पोल से ऐसे टपका जैसे किसी पेड़ से कोई सुखी पुरानी डाली टूट कर गिरती है।
चारो तरफ हाहाकार मच गया विवाह के शुभ वातावरण में मायूसी उदासी मातम का वातावरण छा गया।
पुलिस आयी लेकिन ठाकुर साहब का रुतबा रसूख इतना बड़ा था कि वह कुछ भी नही कर पाई आभा का विवाह तो सम्पन्न हुआ किंतु गांव के इतिहास में खौफनाक अध्याय जोड़ने के बाद।।
नन्दलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर गोरखपुर उत्तर प्रदेश।।