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12 Oct 2022 · 1 min read

अतिवृष्टि

बदरी बरसी व्योम से,छेद हुआ आकाश।
मही आज जलमग्न है,हुआ प्रलय आभास।
हुआ प्रलय आभास,गांव-शहरों में पानी।
नहीं जगह बस एक, सभी की यही कहानी।।
कहै अटल कविराय,साथ नहिं देती छतरी।
उफने पौखर ताल,वेग से बरसी बदरी।।

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