अतिथि की भांति
अतिथि की भांति
जग में हैं आये ।
व्यर्थ ही मन ने,
हैं सपने सजाये ।।
स्मृतियां शेष
ह्रदय में मेरे ।
अनमोल क्षण जो
तेरे संग बिताये ।।
डाॅ फौज़िया नसीम शाद
अतिथि की भांति
जग में हैं आये ।
व्यर्थ ही मन ने,
हैं सपने सजाये ।।
स्मृतियां शेष
ह्रदय में मेरे ।
अनमोल क्षण जो
तेरे संग बिताये ।।
डाॅ फौज़िया नसीम शाद