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14 May 2023 · 1 min read

बचपन की अठखेलियाँ

नटखट नादानी भरा,बच्चों का संसार।
नित नूतन अठखेलियाँ,खुशियों की बौछार।।

मीठी-सी अठखेलियाँ, अल्हड़पन बेवाक।
सुख के सागर से भरा, बचपन कितना पाक।।

बचपन की अठखेलियाँ,कलरव-क्रंदन-खेल ।
मीठी- वाणी तोतली,स्वार्थ हीन है मेल।।

बचपन की अठखेलियाँ, होती सबसे खास।
बन जाती संजीवनी,इसका हर अहसास।।

बच्चों की अठखेलियाँ,माँ को बहुत पसंद।
देख-देख हर्षित हृदय, पाता है आनंद।।

नित नूतन अठखेलियाँ, करते हैं घनश्याम।
मात यशोदा देखती, छोड़-छाड़ के काम।।

-लक्ष्मी सिंह
नई दिल्ली

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