अटल हिमालय
अटल हिमालय
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युगों से देखो अडिग खड़ा,
अपने पथ से नहीं डिगा,
रहता पथ में अटल हिमालय!
पथ में जो भी बाधाएं आती,
चीर सभी से लड़ा हिमालय।
अपनी पीड़ा सब सह जाता,
कभी रूदन ना करे हिमालय!
तभी तो भारत के शीश चमकता,
भारत का गौरव है हिमालय।
हिमगिरि सबसे हे ऊंचा,
हमारी धरा की शान हिमालय!
सीख सभी को देता है,
चाहे कितनी बाधाएं आएं।
तुम डटे रहो अपने पथ पर,
चाहे अंधियारी रात भी आए!
कभी न अपना साहस खोना,
आंधी और तूफानों में।
जीवन में हो घोर अंधेरा,
या कश्ती हो मझधार में!
अटल रहना, अडिग रहना,
जैसे डटा हुआ हिमालय।
पथ के कंटकों से न डरना,
जैसे सब कुछ सहे हिमालय!
हे हिमालय! तुम सहते कितने
आघात हो।
फिर भी तुम हृदय से कोमल,
और शरीर से कठोर हो!
हे हिमालय!तुझसे टकराते
आंधी और तूफान।
देख के तेरा साहस चले जाते,
वापस हार-मान!!
सुषमा सिंह*उर्मि,,