अटल सा धुव्र
वो अटल सा ध्रुव तारा कहाँ गया
दिव्य ज्योति का दाता कहाँ गया
कवि कुलदीप पत्रकार प्रखर वक्ता
आकाश का दिव्य सितारा कहाँ गया
हर फिजां रोयी , हर बीथी है गमगीन
देश विश्व पटल पर लाने वाला कहाँ गया
महाकाल भी रोक न सका हिचकियाँ
बाँध सबको एक सूत्र हमारा कहाँ गया