अटल विश्वास दो
वैसे तो उपबन्ध कोई प्रेम में स्वीकृत नहीं
किन्तु यदि देना ही हो तो अटल विश्वास दो।
चहुँ ओर जब प्रतिरोध हो आक्षेप ही हो सर्वतः
तब भी अडिग विश्वास से साथ तुम पुरजोर दो।
मैं कहीं भी जा रहूँ या नित दैव अनगिन घात दे
किन्तु तुम मेरे हृदय के सदा ही माणिक रहोगे।
भले ही तुम रूठ जाओ याकि फिर अति दूर जाओ
ममता का आंचल तुम्हें नित प्रेम की ही छांव देगा।
बस यही विश्वास एक हृदय में नित संजोए रखना
कितना भी दुष्कर समय हो प्रेम यूँ ही अडिग होगा।