अटल बिहारी मालवीय जी (रवि प्रकाश की तीन कुंडलियाँ)
अटल बिहारी मालवीय जी (रवि प्रकाश की तीन कुंडलियाँ)
( 1 )
रत्न द्वय
माथा भारत का हुआ ,ऊँचा जिनसे और
“मालवीयजी” थे “अटल”,भारत के सिरमौर
भारत के सिरमौर , गीत भारत के गाते
हिंदी हिंदुस्तान , धर्म का ध्वज फहराते
कहते रवि कविराय ,रत्न द्वय की शुभ गाथा
धन्य – धन्य पच्चीस , दिसंबर ऊँचा माथा
( 2 )
महामना मदन मोहन मालवीय
गाता जिनकी कीर्ति नभ ,महामना अभिराम
हिंदू यूनीवर्सिटी , जिनका अद्भुत काम
जिनका अद्भुत काम ,देश के सच्चे प्रहरी
संस्कृति धर्म समाज ,समझ रखते थे गहरी
कहते रवि कविराय , धन्य है भारत माता
रोम – रोम अविराम ,पुत्र जिनके गुण गाता
( 3 )
अटल बिहारी वाजपेई
अटल बिहारी से बड़ा ,जनसेवक था कौन
सेवा एक सपूत बन , करते रहते मौन
करते रहते मौन , हिंद – हिंदी के गायक
युद्ध शांति के दौर ,सभी में प्रिय जन नायक
कहते रवि कविराय ,न कोई उन पर भारी
वक्ता थे बेजोड़ , अनूठे अटल बिहारी
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रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश )
मोबाइल 99976 15451