भारतीय ग्रंथों में लिखा है- “गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णुः गुर
न चिंता आज की करों न कल की।
आजकल लोग का घमंड भी गिरगिट के जैसा होता जा रहा है
मास्टर जी का चमत्कारी डंडा🙏
रास्तों पर नुकीले पत्थर भी हैं
ग़ज़ल सगीर
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
जुदाई की घड़ी लंबी कटेंगे रात -दिन कैसे
मेरे साथ जब भी कोई घटना घटती है,
पलायन (जर्जर मकानों की व्यथा)
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*वो एक वादा ,जो तूने किया था ,क्या हुआ उसका*
जब लोग उन्हें मार नहीं पाते हैं
it is not about having a bunch of friends
नफरतों के जहां में मोहब्बत के फूल उगाकर तो देखो
हर रात मेरे साथ ये सिलसिला हो जाता है
*रिश्वत देकर काम निकालो, रिश्वत जिंदाबाद 【हिंदी गजल/ गीतिका】