अजीब सी बेचैनी हो रही थी, पता नही क्यों, शायद जैसा सोचा था व
अजीब सी बेचैनी हो रही थी, पता नही क्यों, शायद जैसा सोचा था वैसा हुआ नही, दिल में घबराहट थी , दिमाग मे कई शिकायते, चारों तरफ लोगो की भीड़ फिर भी अकेलापन ही महसूस हो रहा था, तभी ख्याल आया कि चंद सालों के गुजर जाने से जीवन नही पूरा होता, चंद सपनो के छूट जाने से ख्वाईशें नही छूटती, गिरना-उठना, फिर खड़े होना ये तो प्रकृति का नियम है, और इन परिस्थितियों को पार करने के लिए रखना हमे संयम है ।