Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
29 Nov 2024 · 1 min read

अजीब सी बेचैनी हो रही थी, पता नही क्यों, शायद जैसा सोचा था व

अजीब सी बेचैनी हो रही थी, पता नही क्यों, शायद जैसा सोचा था वैसा हुआ नही, दिल में घबराहट थी , दिमाग मे कई शिकायते, चारों तरफ लोगो की भीड़ फिर भी अकेलापन ही महसूस हो रहा था, तभी ख्याल आया कि चंद सालों के गुजर जाने से जीवन नही पूरा होता, चंद सपनो के छूट जाने से ख्वाईशें नही छूटती, गिरना-उठना, फिर खड़े होना ये तो प्रकृति का नियम है, और इन परिस्थितियों को पार करने के लिए रखना हमे संयम है ।

15 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.

You may also like these posts

यूँ तैश में जो फूल तोड़ के गया है दूर तू
यूँ तैश में जो फूल तोड़ के गया है दूर तू
Meenakshi Masoom
जिंदगी एक पहेली
जिंदगी एक पहेली
Sunil Maheshwari
Bundeli Doha pratiyogita-149th -kujane
Bundeli Doha pratiyogita-149th -kujane
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
कितने हीं ज़ख्म हमें छिपाने होते हैं,
कितने हीं ज़ख्म हमें छिपाने होते हैं,
Shweta Soni
अर्धांगनी
अर्धांगनी
पूनम 'समर्थ' (आगाज ए दिल)
घाटे का सौदा
घाटे का सौदा
विनोद सिल्ला
~ मां ~
~ मां ~
Priyank Upadhyay
समुंद्र की खिड़कियां
समुंद्र की खिड़कियां
ओनिका सेतिया 'अनु '
मुरली कि धुन,
मुरली कि धुन,
Anil chobisa
सुनो सखी !
सुनो सखी !
Manju sagar
ये जो तुम कुछ कहते नहीं कमाल करते हो
ये जो तुम कुछ कहते नहीं कमाल करते हो
Ajay Mishra
- बदलते रिश्ते -
- बदलते रिश्ते -
bharat gehlot
कुंडलियां
कुंडलियां
Rambali Mishra
सावन की है ये पंचमी शुभयोग बना है,
सावन की है ये पंचमी शुभयोग बना है,
Anamika Tiwari 'annpurna '
नता गोता
नता गोता
डॉ विजय कुमार कन्नौजे
खूबसूरत सफर हो तुम
खूबसूरत सफर हो तुम
Mamta Rani
पढ़ना जरूर
पढ़ना जरूर
पूर्वार्थ
ग़ज़ल _ थी पुरानी सी जो मटकी ,वो न फूटी होती ,
ग़ज़ल _ थी पुरानी सी जो मटकी ,वो न फूटी होती ,
Neelofar Khan
"मंज़र बर्बादी का"
ओसमणी साहू 'ओश'
देश से दौलत व शुहरत देश से हर शान है।
देश से दौलत व शुहरत देश से हर शान है।
सत्य कुमार प्रेमी
” मजदूर की जुबानी “
” मजदूर की जुबानी “
ज्योति
सवालिया जिंदगी
सवालिया जिंदगी
Jeewan Singh 'जीवनसवारो'
4529.*पूर्णिका*
4529.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
पत्ते
पत्ते
Uttirna Dhar
होगी विजय हमारी
होगी विजय हमारी
महेश चन्द्र त्रिपाठी
#देसी ग़ज़ल
#देसी ग़ज़ल
*प्रणय*
रक्षाबंधन
रक्षाबंधन
Harminder Kaur
"इतिहास"
Dr. Kishan tandon kranti
*जब से मुकदमे में फॅंसा, कचहरी आने लगा (हिंदी गजल)*
*जब से मुकदमे में फॅंसा, कचहरी आने लगा (हिंदी गजल)*
Ravi Prakash
रास्ते
रास्ते
Ritu Asooja
Loading...