अजीज़ सारे देखते रह जाएंगे तमाशाई की तरह
अजीज़ सारे देखते रह जाएंगे तमाशाई की तरह
गु़रूर खाक़ हो जाएंगे एक रोज़ बनराई की तरह
मजार में इतर चढ़ा या मस्जिद में फातिहा पढ़
मंदिर में दिया जला हर रोज रौशनाई की तरह
रूख़ पर नकाब चढ़ा या किरदार पर ओढ़ा परदे
दाग़ तो फिर भी उभर ही आएंगे, झांई की तरह
सात समंदर पार हो या हो ठिकाना तहखाने में
बद्दुआ हमेशा पीछा करती है परछाईं की तरह
करके काम बुराई का सुकून किसे मिल पाता है
अच्छाई सदा साथ चलती है, रहनुमाई की तरह