अजब रिकार्ड
सत्तासीनों की उदासीनता का
बन रहा है अजब रिकार्ड
पर उन चेहरों पर फर्क नहीं
जो समझते खुद को लार्ड
महंगाई नित बढ़ रही है
सुरसा के मुख की भांति
आम आदमी पर सतत
वो कर रही है आघात
दैनिक जरूरतों को पूरी
करने में हर शख्स हलकान
अर्थाभाव में छिन गई है अब
अधिकांश चेहरों की मुस्कान