अजब किया है श्रंगार ____घनाक्षरी
अजब किया है श्रंगार आज भाई उसने।
उसको न लाज आई किया बदनाम है।।
परंपरा छोड़कर चली कहां दौड़कर।
उजली सी काया को तो किया बदनाम है।।
लगता नही है कोई वसन है तन पर।
झलकत अंग अंग किया बदनाम है।।
कहां से है पाया ज्ञान अपनी नहीं ये शान।
काया का गुमान तुझे किया बदनाम है।।
राजेश व्यास अनुनय