अजनबी
हम अजनबी, तुम अजनबी,
कौन यहाँ है कम अजनबी!
राह अजनबी, चाह अजनबी,
करता कहाँ किसी की परवाह अजनबी!
क्या साथ आया है, कौन साथ जायेगा,
सब कुछ अंजान यहाँ, क्या हाथ आएगा!
शाहिल अजनबी, धार अजनबी,
है सब के लिए पूरा संसार अजनबी!
मुसाफिर अजनबी, मंज़िल अजनबी,
दुनियाँ कि खुशी में सारे शामिल अजनबी!
आज अजनबी, आगाज अजनबी,
सब का यहाँ है अंदाज़ अजनबी!
इश्क़ अजनबी, प्यार अजनबी,
आज अपना है, कल दिलदार अजनबी!
खुशियाँ बांटे सब ,गम के हिस्सेदार अजनबी,
सारे अपने डूब गए, लहरों से गया पार अजनबी!
उतर गया हूं समंदर में, पर हमसे है मझधार अजनबी,
लहरों से पहचान, पर कश्ती अजनबी पतवार अजनबी!
अलफ़ाज़ अजनबी, हमराज अजनबी,
जीवन के छुपे सारे राज अजनबी!
दोस्त अजनबी, दुश्मन अजनबी,
आजकल के सभी जानेमन अजनबी!
हम अजनबी, तुम अजनबी,
कौन यहाँ है कम अजनबी!
कौन यहाँ है कम अजनबी!!!
✍️ “हेमंत पराशर”