अच्छी नहीं
दरिया में इतनी खमोशी अच्छी नहीं,
तेरी आँखों में ये उदासी अच्छी नहीं।
अब ज़रा सा मुस्कुरा भी दे ए सनम,
दिल को इतनी बेक़रारी अच्छी नहीं।
धूल सारी आइने से अब दो मिटा,
गम की इतनी मेज़बानी अच्छी नहीं।
रूठ जाने के तरीके थे और भी,
बज़्म में यह बे-हुज़ूरी अच्छी नहीं।
क्यों लगा बैठे हो सीने से मौत को,
जिंदगी से बेवफ़ाई अच्छी नहीं ।।
© अभिषेक पाण्डेय अभि