अच्छा है तू चला गया
मुझे तेरी दरकार नहीं है,
तिनका भर एतबार नहीं है।
यद्यपि कोई तकरार नहीं है,
फिर भी तुझसे प्यार नहीं है।
वक्त के हांथों मला गया,
अच्छा है तू चला गया।
अभावों का राज था,
रोटी को मोहताज था।
माड़े मोठे कपड़े थे,
दुःख से पूरा जकड़े थे।
कदम कदम पर छला गया,
अच्छा है तू चला गया।
पाठशाला में नहीं चटाई थी,
बस होती खुब पिटाई थी।
कब मैंने गाना गाया,
याद नहीं कभी मुश्काया।
लगता कोई बला गया,
अच्छा है तू चला गया।
साथ में सारे खड़े थे
हरदम जिद में अड़े थे।
कहने को बड़े थे,
सब सठता से जड़े थे।
गाल पर थप्पड़ खला गया,
अच्छा है तू चला गया।
आज का दिन कुछ और है।
उपलब्धि का दौर है,
जीना समय सिखाता है,
कोई आंख नहीं दिखाता है।
अपनी मौज में ढला गया,
अच्छा है तू चला गया ।
नींव ईंट बनी जिंदगानी,
मेरी भी थी कुछ नादानी।
बिन मतलब के मैं ऐंठा,
दिल पर सब कुछ ले बैठा।
जैसा था कर भला गया,
मेरा बचपन चला गया।
सतीश सृजन