Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
13 Jun 2023 · 1 min read

अच्छा लगता है

रोज शाम को,
एक किताब ,
डूबकर,
पढना अचछा लगता है,
सब को अपने साथ ,
बिठाकर रखना,
अचछा लगता है।
अब सब्जी
काट नहीं सकता,
खाना पकाकर
खिलाना,
अचछा लगता है,
अपने अनुभव,
जैसे भी है,
सबको सुनाना,
अचछा लगता है,
भले ही,
बेढंगा है
पुराना है,
पर,वही घर,
पुराना
अच्छा लगताहै।
सब खुश रहे,
सुखी रहे,
यह नया जमाना,
अचछा लगता है।

1 Like · 361 Views
Books from Harish Chandra Pande
View all

You may also like these posts

आवाज मन की
आवाज मन की
Pratibha Pandey
कर दो वारे-न्यारे
कर दो वारे-न्यारे
संतोष बरमैया जय
तू नहीं है तो ये दुनियां सजा सी लगती है।
तू नहीं है तो ये दुनियां सजा सी लगती है।
सत्य कुमार प्रेमी
बम
बम
Dr. Pradeep Kumar Sharma
- दुनिया भर की समझ है पर दुनियादारी की समझ नही है -
- दुनिया भर की समझ है पर दुनियादारी की समझ नही है -
bharat gehlot
" निशान "
Dr. Kishan tandon kranti
*गीतिका विधा*
*गीतिका विधा*
आचार्य ओम नीरव
लुटा दी सब दौलत, पर मुस्कान बाकी है,
लुटा दी सब दौलत, पर मुस्कान बाकी है,
Rajesh Kumar Arjun
जीवन सूत्र (#नेपाली_लघुकथा)
जीवन सूत्र (#नेपाली_लघुकथा)
Dinesh Yadav (दिनेश यादव)
एक तूही दयावान
एक तूही दयावान
Basant Bhagawan Roy
इस दफ़ा मैं न उफ़्फ़ करूंगा।
इस दफ़ा मैं न उफ़्फ़ करूंगा।
Kirtika Namdev
रमन्ते सर्वत्र इति रामः
रमन्ते सर्वत्र इति रामः
मनोज कर्ण
जिसकी बातों में सदा झूठ की बू आती है,
जिसकी बातों में सदा झूठ की बू आती है,
Dr fauzia Naseem shad
मानव जीवन की बन यह पहचान
मानव जीवन की बन यह पहचान
भरत कुमार सोलंकी
* सिला प्यार का *
* सिला प्यार का *
surenderpal vaidya
मातु शारदे वंदना
मातु शारदे वंदना
ओम प्रकाश श्रीवास्तव
Don't pluck the flowers
Don't pluck the flowers
VINOD CHAUHAN
गणतंत्र की परिभाषा
गणतंत्र की परिभाषा
Suman (Aditi Angel 🧚🏻)
जब किसान के बेटे को गोबर में बदबू आने लग जाए
जब किसान के बेटे को गोबर में बदबू आने लग जाए
शेखर सिंह
मजदूर है हम
मजदूर है हम
Dinesh Kumar Gangwar
सुप्रभातम / शुभ दिवस
सुप्रभातम / शुभ दिवस
*प्रणय*
बुंदेली दोहा -कुलंग (एक बीमारी)
बुंदेली दोहा -कुलंग (एक बीमारी)
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
वो मेरी कविता
वो मेरी कविता
Dr.Priya Soni Khare
पग पग दीप करे उजियारा।
पग पग दीप करे उजियारा।
अनुराग दीक्षित
दोहा त्रयी. . . . .
दोहा त्रयी. . . . .
sushil sarna
2930.*पूर्णिका*
2930.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
Xóc Đĩa Online Cung cấp các dịch vụ và sản phẩm chất lượng c
Xóc Đĩa Online Cung cấp các dịch vụ và sản phẩm chất lượng c
Xóc đĩa online
मेरे दुःख -
मेरे दुःख -
पूर्वार्थ
विवश मन
विवश मन
डॉ राजेंद्र सिंह स्वच्छंद
कहने को बाकी क्या रह गया
कहने को बाकी क्या रह गया
Sandhya Chaturvedi(काव्यसंध्या)
Loading...