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1 Apr 2019 · 1 min read

अच्छा लगता है

बारिश में भीगना,
बूंदों को चूमना,
गीले जुल्फों को झटकना,
नैनों को मटकाना,
कितना अच्छा लगता है।

कोयल के संग कूकना,
मोर के संग नाचना,
सरसों के खेतों में दौड़ना,
तितली के पीछे भागना,
आज भी मन बच्चा लगता है।

कागज की नाव बनाना,
बारिश की पानी में उसको बहाना,
पानी के छींटे एक-दूजे पर डालना,
बातों-ही-बातों में कहीं दूर निकल जाना,
सबकुछ कितना सच्चा लगता है।

बालू की रेत पर घरौंदे बनाना,
बना कर मिटाना,
मिटाकर बनाना,
छोटी-छोटी बातों पर रूठना, मनाना,
समन्दर की लहरों पर, मेरा दौड़ जाना,
जीवन फूलों का गुच्छा लगता है।

बच्चों के संग खेलना, उसको खेलाना,
जड़ा-सी चुलबुली नटखट बन जाना,
जड़ा-सा छेड़ना, जड़ा-सा हँसाना,
परियों की किस्से-कहानी सुनाना,
नाजुक-सा मन आज भी कच्चा लगता है।
मेरा हर सपना, सच्चा और अच्छा लगता है।
_लक्ष्मी सिंह

Language: Hindi
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