Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
11 May 2024 · 1 min read

अच्छा लगता है

किसी को ‘दिल’ से लगाता हूँ,
तो अच्छा लगता है…
किसी के ‘दर्द’ बंटा लेता हूँ,
तो अच्छा लगता है….

यूँ तो हर शख्स ही ‘उलझा’ है,
जिंदगी के झमेलों मे,
कुछ ‘धागे’ सुलझा देता हूंँ,
तो अच्छा लगता है….

बहुत जल्द बड़ा हो गया हूँ,
अपनी ‘उम्र’ से तो मैं,
कभी ‘खिलौने’ खरीद लाता हूँ,
तो अच्छा लगता है…..

बुझाता है कोई आग जो,
कहीं अपने ‘नशेमन’ की,
साथ जला लेता हूँ मैम भी हाथ,
तो अच्छा लगता है….

चौंधिया जाता हूंँ देखकर,
जब जमाने की रौशनी,
आंगन मे ‘चिराग’ जला लेता हूँ,
तो अच्छा लगता है…..

जब मन मे ‘कसक’ होती है,
कोई बात दिल मे होती है,
तब ‘कलम’ को उठा लेता हूँ,
तो अच्छा लगता है….

© विवेक’वारिद’*

Language: Hindi
45 Views
Books from Vivek Pandey
View all

You may also like these posts

मैं चंद्रमा को सूर्योदय से पूर्व सूर्यास्त के बाद  देखता हूं
मैं चंद्रमा को सूर्योदय से पूर्व सूर्यास्त के बाद देखता हूं
SATPAL CHAUHAN
आयेगा कोई
आयेगा कोई
Dr. Bharati Varma Bourai
पुष्पदल
पुष्पदल
sushil sarna
ये शिकवे भी तो, मुक़द्दर वाले हीं कर पाते हैं।
ये शिकवे भी तो, मुक़द्दर वाले हीं कर पाते हैं।
Manisha Manjari
कहतें हैं.. बंधनों के कई रूप होते हैं... सात फेरों का बंधन,
कहतें हैं.. बंधनों के कई रूप होते हैं... सात फेरों का बंधन,
पूर्वार्थ
स्वाभिमान
स्वाभिमान
Shyam Sundar Subramanian
बरगद और बुजुर्ग
बरगद और बुजुर्ग
Dr. Pradeep Kumar Sharma
प्रत्युत्पन्नमति
प्रत्युत्पन्नमति
Santosh kumar Miri
कभी मज़बूरियों से हार दिल कमज़ोर मत करना
कभी मज़बूरियों से हार दिल कमज़ोर मत करना
आर.एस. 'प्रीतम'
दिल दिया है प्यार भी देंगे
दिल दिया है प्यार भी देंगे
जय लगन कुमार हैप्पी
चाहतें
चाहतें
Dr.Pratibha Prakash
*एक बल्ब घर के बाहर भी, रोज जलाना अच्छा है (हिंदी गजल)*
*एक बल्ब घर के बाहर भी, रोज जलाना अच्छा है (हिंदी गजल)*
Ravi Prakash
वेचैन आदमी
वेचैन आदमी
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
सैनिक का खत।
सैनिक का खत।
Abhishek Soni
ज़माने की नजर से।
ज़माने की नजर से।
Taj Mohammad
तिजारत
तिजारत
ओनिका सेतिया 'अनु '
M
M
*प्रणय*
कल सबको पता चल जाएगा
कल सबको पता चल जाएगा
MSW Sunil SainiCENA
"बातों से पहचान"
Yogendra Chaturwedi
ज़िंदगी चाहती है जाने क्या
ज़िंदगी चाहती है जाने क्या
Shweta Soni
दीपावली की दीपमाला
दीपावली की दीपमाला
Khajan Singh Nain
"अजीब लोग"
Dr. Kishan tandon kranti
मुक्तक 4
मुक्तक 4
SURYA PRAKASH SHARMA
2811. *पूर्णिका*
2811. *पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
राज़ हैं
राज़ हैं
surenderpal vaidya
लोग कहते है तुम मोहब्बत में हारे हुवे , वो लोग हो !
लोग कहते है तुम मोहब्बत में हारे हुवे , वो लोग हो !
Surya Barman
9. पोंथी का मद
9. पोंथी का मद
Rajeev Dutta
पूनम की चांदनी रात हो,पिया मेरे साथ हो
पूनम की चांदनी रात हो,पिया मेरे साथ हो
Ram Krishan Rastogi
रंग
रंग
आशा शैली
*मन  में  पर्वत  सी पीर है*
*मन में पर्वत सी पीर है*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
Loading...