अग्नि कन्या बीना दास
जब भी राजनीति के दुर्भाग्य का जिक्र किया जाएगा
महान महिला क्रांतिकारियों को भुला दिया जाएगा
बनी हजारों चलचित्र संगीत संग चरित्र श्रंखलाएं
नहीं मिलती इन चिंगारियों की जलती हुई चिताएं
हो गईं निसार बिन सिंगार के मातृभूमि पर वीर कन्याएं
नहीं जलाई कभी किसी ने मशाल ये भी थी वीरांगनाएं
आओ करें नमन आज साहित्य अर्पण की पहल को
दी है जगह किस्सों में अमर ज्योति इनकी भी जलाएं
भर जाती है आँख मेरी अक्सर ये सोचकर
जो मर गए देश के लिए हर खुशी छोड़कर
दिया क्या हमने उन्हें ऐ सफेद पोश डाकुओ
तुमने कभी सोचा ही नहीं कुर्सी को छोड़कर
कहते जिसे हैं अग्नि कन्या लाई हूँ वो किस्सा
रोता है आसमां कैसे गुजरा आजाद भारत का हिस्सा
C. A .A. की सार्थकता चटगाँव अग्नि कन्या किस्सा
मिला सम्मान तो छोड़ो रुला दिया अन्येष्टि का हिस्सा
जागो अब देशवासियों गूगल बाबा कहते हैं
कुछ तो करो जतन बने ये जीवन का हिस्सा
हे बीना दास तेरी दशा का कौन जिम्मेदार है
ये मिटटी ये समाज ये राष्ट्र तेरा कर्जदार है
सर्वस्व जिसने वार दिया स्वतंत्रता की वलिवेदी पर
उसका ही शव क्षत विक्षत मिला मार्ग किनारे ढेरी पर
आह ये विडम्बना कैसी कहो पद लोलुपता के खेती पर
तुमको नमन हे अग्नि कन्या छात्री संघ की रण भेरी पर