अगे माई गे माई ( मगही कविता )
पाँच रुपेया के मकई आठ आना के नीमक,
पचास ग्राम तेल में जब निमने भुंजा जा हइ,
पॉपकॉर्न के नाम प दोना में भर के,
तीन सौ में बिका हइ,
हमरा त कपरे दुखा जा हइ,
अरे माई गे माई!
पाँच प्रकार के ड्रेस तीन प्रकार के जुता,
हज़ारों के किताब आ लाखों में फ़ीस,
बबूआ के इस्कूल से पढ़ाई के नाम प
लाखों के बिल महीने-महीने भेजा जा हइ,
हमरा त कपरे दुखा जा हइ,
अगे माई गे माई!
बूँद भर कमाई बाल्टी भर कर्जा,
मेहरी के लूगा बुतरुअन के लत्ता के खरचा,
दवे-दारू में तो सब कमाई ओरा जा हइ,
हमरा त कपरे दुखा जा हइ,
अगे माई गे माई!