अगले बरस जल्दी आना
अगले बरस जल्दी आना…
दिन ये कितने पावन से थे
पल वो सारे मनभावन थे
मंगलमय घड़ियाँ फिर लाना
अगले बरस तुम जल्दी आना।
सजी पूजा आरती थाली
मुखड़े पर उज्जवल सी लाली
ऋद्धि सिद्धि तुम संग ही लाना
अगले बरस तुम जल्दी आना
बीते दिन ये हँसते गाते
बरबस यूँ ही छवि निहारते
रूप अनुपम सा फिर दिखलाना
अगले बरस तुम जल्दी आना।
विनायक,गजानन,गणेश तुम ही
सृष्टि के पालनकर्ता तुम ही
धीमे कदमों से शुभता लाना
अगले बरस तुम जल्दी आना।
आँख आज यूँ ही भर आई
भीगे नयन करते विदाई
बप्पा मोरिया कहते जाना
अगले बरस तुम जल्दी आना।
घर,द्वारे,गलियारे सजे
सदन सारे देवालय बने
मनोरम दृश्य फिर दिखलाना
अगले बरस तुम जल्दी आना।
गणेश प्यारे सबके दुलारे
लड्डू,मूषक ही संग तुम्हारे
सुंदर सा मुखड़ा दिखला जाना
अगले बरस तुम जल्दी आना।
जन जन का ही अब शत्रु बना
नफरत,घृणा से हॄदय भरा
सद्बुद्धि सबको यूँ दे जाना
अगले बरस तुम जल्दी आना।
है जग में सर्वत्र विष भरा
अधर्म,झूठ,ईर्ष्या,पाप धरा
अन्याय,तमस तो मिटा जाना
अगले बरस तुम जल्दी आना।
✍️”कविता चौहान”
स्वरचित एवं मौलिक