“अगले जनम मोहे बिटिया न देना”
माँ बहुत दर्द सह कर,
बहुत दर्द दे कर,
तुझसे कुछ कह कर मैं जा रही हूँ।
आज मेरी विदाई में जब सखियाँ मिलने आएंगी,
सफ़ेद जोड़े में लिपटी देख सिसक सिसक मर जाएँगी,
लड़की होने का खुद पे,फिर वो अफ़सोस जताएंगी।
माँ तू उनसे इतना कह देना,
दरिंदो की दुनिया में संभल कर रहना…..
माँ राखी पर जब भैया की कलाई सूनी रह जाएगी,
याद मुझे कर कर जब उनकी आँख भर आएगी,
तिलक माथे पर करने को, माँ रूह भी मेरी मचल जाएगी,
माँ तू भैया को रोने न देना,
मैं साथ हूँ हर पल उनसे कह देना….
माँ पापा भी छुप छुप कर बहुत रोयेंगे,
मैं कुछ न कर पाया, ये कह के खुद को कोसेंगे,
माँ दर्द उन्हें ये होने न देना,
वो अभिमान है मेरा,सम्मान है मेरा,
तू उनसे इतना कह देना…..
माँ तेरे लिए अब क्या कहूँ,
दर्द को तेरे,शब्दों में कैसे बाँधूं???
फिर से जीने का मौका कैसे मांगू???
माँ लोग तुझे सतायेंगे,
मुझे आज़ादी देने का,तुझ पे इलज़ाम लगाएंगे,
माँ सब सह लेना पर ये न कहना,
“अगले जनम मुझे बिटिया न देना”
“इंदु रिंकी वर्मा”