अगर! मैं आकाश में उङ पाता …!!!
अगर! मैं आकाश में उङ पाता…!!!
मैं पंछियों से दौङ लगाता ।
कभी जीतता, कभी हारता,
कितना मजा उस वक़्त आता…?
अगर! मैं आकाश में उङ पाता…!!!
कभी आगे जाता, कभी पीछे होता,
उन परिंदों से होङ लगाता ।
कभी गिरता, कभी सम्भलता,
आसमान मे मैं खूब मचलता !
अगर! मैं आकाश मे उङ पाता…!!!
मैं इतराता, मैं बलखाता,
लोगों का संदेश पहुंचाता ।
कभी इधर उङता, कभी उधर उङता,
खुशियों से मैं फुले ना समाता ।
अगर! मैं आकाश मे उङ पाता… !!!
कोई सीमा, कोई शरहद,
ना मुझे रोक पाता !
कभी पेड़ों पर, कभी खेतों में,
खूब मचलता ।
अगर! मैं आकाश मे उङ पाता…!!!
अमन शर्मा