अगर मेघों से धरती की, मुलाकातें नहीं होतीं (मुक्तक)
अगर मेघों से धरती की, मुलाकातें नहीं होतीं (मुक्तक)
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अगर मेघों से धरती की, मुलाकातें नहीं होतीं
मधुर संगीत की बूॅंदों, भरी बातें नहीं होतीं
बनाया है जगत यह जाने, किसने अपने जादू
से
कमी कुछ इसमें रह जाती, जो बरसातें नहीं होतीं
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रचयिता ःरवि प्रकाश,
बाजार सर्राफा, रामपुर(उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 9997 615 451