अगर भीम बाबा का जन्म न होता
अगर भीम बाबा का जन्म न होता….
शोषितों का इस जहाँ में….
वंचितों का इस दुनिया में , बुरा हाल होता ।।
अगर भीम बाबा का जन्म न होता…..
करेगा कमाई दिनभर न मिले मज़दूरी ।
भूखे को मिले न खाना,
न प्यासे को पानी ।
सहता ज़ुल्म इस जहाँ के …
न आहें भी तू भरता ।।
अगर भीम बाबा का जन्म न होता…
वंचितों का इस दुनियां में, बुरा हाल होता ।।
रहते हर ख़ुशियों से वंचित,
न मिलता कोई अधिकार यहाँ,
लिख संविधान, मिटा मनुस्मृति
नव सृजन समाज का किया ।
दुःख समेटे इस जहाँ के ….
न मिटता ये अंधकार यहाँ ।
अगर भीम बाबा का जन्म न होता …..
न थी हमें इजाज़त पढ़ -लिखने की,
ना वस्त्र पहनें ओर न ,
सर उठा के जीने की ,
हमें हक़ दिलाये सारे ,
अपनी सारी खुशियाँ मिटाके ।
नमन इस महामानव कर जोड़ करते…
अगर भीम बाबा का जन्म न होता …
हैं हम ख़ुशी बस उनकी वज़ह से,
जिनको मिला तिरस्कार सदा ,
न सह सके वो जुल्मों-सितम को,
तोड़े सारे पाखंडवाद के बन्धन ।
क्यूँ मित्रो हम अब सहें ज़ुल्म को,
करो तिरस्कार उसका जो तुम्हें तोड़ता …
अगर भीम बाबा का जन्म न होता…
®© आर एस बौद्ध”आघात”©®
8475001921