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13 Jun 2023 · 1 min read

अगर बात तू मान लेगा हमारी।

गज़ल

122/122/122/122
अगर बात तू मान लेगा हमारी।
न होगी तेरी सारे जग में हॅंसाई।

बनाया था तुझको वहीं तू बना रह,
ये अच्छा नहीं बन रहा मुन्नाभाई।

तू जिसका भी चाहे गला रेत देगा,
है इंसान मत बन अरे तू कसाई।

अमीरों की सेवा से चर्चें हुए बस,
गरीबों की सेवा से जन्नत है पाई।

रहेगा सदा तू, तेरा बस ये भ्रम है,
के दुनियां से तय है सभी की विदाई।

वही है अमर आज दुनियां में प्रेमी,
दिलों में ही जिसने जगह है बनाई।

……..✍️ सत्य कुमार प्रेमी

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