अगर प्रेम है
अगर प्रेम है
तो हो, इस क़दर समर्पण
जिसमें पाने की चाह नहीं,
लेकिन ख़ुद को
समर्पित कर देने का जुनून
ना पाने की फ़िक्र
न खोने की चिंता,
बस लुटने
लुटाए जाने को आतुर
प्रेम ही तो है…..
जो अनंत है, अविनाशी है
मृत्यु के बाद भी
जीवित रह सकने वाला।
शेष तो
जो भी है बस राख है
और इश्क़ है,
राख में प्रेम की परिणति
हिमांशु Kulshrestha