जुबाँ चुप हो
अगर दूर जाना तो न चल अकेले,
कोई हमनवां कामिल को साथ ले ले।
कदम दर कदम वह दिखायेगा राहें।
कहीं लड़खड़ाया पकड़ लेगा बाहें।
बस चलता चला जा जिधर हो के जाए।
ले उसका सहारा अगर डर सताए।
जहाँ वह बताए उसी राह हो ले।
जुबाँ चुप हो तेरी हुनर तेरा बोले।
-सतीश सृजन