अगर तुम
खुशी से दिन जीवन के कट ही जाते,
अगर तुम लौटके घर आ जाते।
टूटा था ये दिल क्यों कभी हमारा,
खोलकर दिल अपना तुम को बताते।
रेत की दीवार से जब जज्बात लड़ते,
फ़ासले तो दिलों के फ़िर मिट ही जाते।
मैल मन का धुलकर जो बह जाता,
एक दूसरे को हम साफ नज़र आते।
कमियाँ अपनी भी गिनी होती हमने,
तो ज़माने में हम भी खिलखिला जाते।