अगर तुम सावन हो
अगर तुम सावन हो
तो रिमझिम गिरती बारिश, मैं
अगर तुम बरसात हो
तो उन बूंदों की साजिश, मैं
अगर तुम शीत ऋतु जैसी
तो सर्दी की ठंडक, मैं
गर तुम ओस की बूंदों सी,
तो टिप टिप करती दस्तक, मैं
मैं तेरे ख़्वाब की गलियों से
हर एक पल गुजरता हूँ
और तेरी हर मुस्कान पे मैं
कुछ इस कदर मरता हूँ
गर तुम आओ पास मेरे
बाहों में तुम्हें छुपा लूँ, मैं
फिर दूर ना जाने दूँ तुमको
बस अपना तुझे बना लूँ मैं
तुम मेरा देखा इक सपना
हूँ तेरी कोई ख्वाहिश, मैं
अगर तुम सावन हो
तो रिमझिम गिरती बारिश मैं।