अगर चाह लूं दिन में तारे दिखा दूॅं!
मुझे छेड़ मत मैं तुझे ये बता दूँ!
अगर चाह लूं दिन में तारे दिखा दूं!
मेरे सामने तेरी …..औकात क्या है,
कि इक फूंक मारूं हवा में उड़ा दूॅं!
इरादे हैं नापाक जिसके वो सुन ले,
उसे भेड़ बकरी का् कीमा बना दूॅं!
ये मेरी सहनशीलता ही है …समझो,
तुझे पालता हूँ तो …..कैसे मिटा दूँ!
तेरी हरकतों से ……कई बार सोचा,
रखे याद तू तुझको ऐसी …सजा दूँ!
मरा है जो खुद ही उसे क्या मैं मारूं,
कि इसके लिए दिल को कैसे दुखा दूॅं!
जलेंगे हवाओं में भी ……तेज लौ से,
चरागों में जब हौसले …..मैं जला दूॅं!
बढ़ी तल्खियाँ है सदा ….नफरतों से,
चलो नफरतों को मिटाकर दिखा दूॅं!
बनो देश प्रेमी …..ए दुनियाँ के लोगो,
तुम्हें प्रेम का पाठ …….ऐसा पढ़ा दूॅं!
…… ✍ प्रेमी
30 मई, 2021