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24 Jan 2023 · 1 min read

जिंदगी आईने से खुल जाती है सामने से

जिंदगी आईने से खुल जाती है सामने से
गमों को कमजर्फ के सामने दिखाऊं कैसे,

दिल मेरा भी नहीं लगता है अब अकेले में
किसी को जबरदस्ती अपना बनाऊं कैसे |

दिल यह टूटा हुआ है कई कई जगह से
अब इस टूटे हुए दिल को लगाऊं कैसे |

वो जो अब किसी और की मनकूबा है
उसको मैं अब ख्वाबों में लाऊं कैसे |

जिन गीतों में बेवफाई लिखी हुई है ,
उन गीतो को दोबारा गुनगुनाऊ कैसे,

अब तो आईना भी बड़े ही दर्द देता है
बता अब आईने से दास्तां छुपाऊं कैसे |

कवि दीपक सरल

Language: Hindi
2 Likes · 112 Views

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