अगर उससे निगाहें मिला…समझो गले लगा लेता
कभी-कभी मैं भी बजा लेता हूं
शौक़ से शोहरतों की तालियां
अगर उसे पा लेता,तो समझो सब कुछ पा लेता।।
भीड़ में खड़ी थीं कुछ देर तक मेरे सामने
अगर उससे निगाहें मिला लेता,तो समझो
गले लगा लेता।।
ये जरूरी तो नहीं ,हम उसे अपने रंग में रंगे
अगर उसकी रंग पहचान लेता ,तो समझो उसे जान लेता।।
मेरी नज़र उस ओर थी, उसकी न जाने कहां
अगर उसकी नज़र उतार लेता,तो समझो हाथ मिला लेता।।
नीतू साह(हुसेना बंगरा)सिवान-बिहार