अख़बार
सुब्ह जब अख़बार आता है तो डर जाता हूं मैं
क़त्ल की ख़बरों को पढ़कर रोज़ मर जाता हूं मैं
व्हाट्सअप पर जुल्म के हैं कैसे-कैसे वीडियो
वीडियो को देख, अंदर तक सिहर जाता हूं मैं
अधमरे से लोग हैं फुटपाथ पर लेटे हुए
रोज़ इनका दर्द लेकर अपने घर जाता हूं मैं
ख़ूं ख़राबा की दुकानें अम्न के रस्ते पे क्यूं
रास्ता कोई दिखाओ ये किधर जाता हूं मैं
-शिवकुमार बिलगरामी