अक्सर तेरे प्यार में मेरा प्यार ढूंढता हूँ
अक्सर तेरे प्यार में मेरा प्यार ढूंढता हूँ
उजड़े शहरों की गलियों में बाज़ार ढूंढता हूँ…!
वो खाक़ फिर मेरे माथे से आकर टकराती है
जिस रूप में स्पर्श था वो रूप साकार ढूंढता हूँ….!
मेरा आईना मुझसे मेरी मुस्कान का पता पूछता है
नितांत निशब्द, वर्णमाला में शब्दों के प्रकार ढूंढता हूँ…!