अक्षर अक्षर प्रीत लिखेंगे
जब जब कोई गीत लिखेंगे
अक्षर अक्षर प्रीत लिखेंगे
ग्वाल, बाल, गोपी, यमुना तट
कृष्ण राधिका, वंशी पनघट
नंद यशोदा का घर आँगन,
मोहन का नवनीत लिखेंगे
कलम चलेगी छल छंदों पर
और आज के जयचंदों पर
करे नमन जो भारत माँ को,
उसको मन का मीत लिखेंगे
मन से मन की बाते होंगी
नहीं यहाँ पर घातें होंगी
सरल सुगम जो मन को भाये
सदा वही संगीत लिखेंगे
नैतिकता का होगा पोषण
नहीं चलेगा भृष्ट आचरण
सदा लिखेंगे हार झूठ की
और सत्य की जीत लिखेंगे