अक्षय हो संस्कार
अक्षय हो संस्कार
अक्षय तृतीय पे करते कामना
धन-संपत्ति अक्षय होने की।
सुख-शांति अक्षय होने की
रिश्ते-परिवार अक्षय होने की।
हो गई अगर भक्ति अक्षय
सुसंस्कार-संस्कृति अक्षय।
मिलेगा सुख-शांति चैन
धन-संपदा मिल जाएगी।
रिश्तों का अलगाव बचेगा
व्यक्ति-व्यक्ति से जुड़ेगा।
जड़ से भ्रष्टाचार मिटेगा
परिवार-समाज-देश बनेगा।
दुर्गुणों से नर दूर होगा
काम,क्रोध,लोभ,मोह मिटेगा।
संतोष धन की फसल उगेगी
सर्वत्र सुख- शांति होगी।
भक्ति,संस्कार-संस्कृति ही
जीवन की आधार शिला।
अक्षय हो संस्कार-संस्कृति
ज्ञान धन जन जन को मिला।
हे प्रभु ! करो कुछ ऐसा
इस अक्षय तृतीया पर।
फैले सुकर्मों की बेल
देव भ्रमण करें धरती पर।
डॉ.निशा नंदिनी भारतीय
तिनसुकिया, असम