अक्षय तृतीया
अक्षय तृतीया के दिन गुड्डे गुड़िया का विवाह मेरी बिटिया ने रचाया
बड़े जतन से गुड्डा गुड़िया दोनों को सजाया
गुड़िया को सजाकर उसने बरगद के मंडप पर बिठाया
मंगल गीत गाये गुड्डे गुड़िया की शादी रचाई
यह देख कर मेरी आंखें भर आई l
मेरी प्यारी बिटिया धीरे-धीरे बड़ी हो रही
समय की घड़ियां बीत रही l
हर साल की तरह फिर वो दिन आया
अक्षय तृतीया के अवसर पर गुड़िया का ब्याह रचाया
पर उसको ये मालूम नहीं कि वो जब बड़ी हो जायेगी
पापा मम्मी की लाडली भी एक दिन विवाह रचायेगी l
हम शायद उसको निहारते रह जाएंगे
वो शायद हमारे लिए भावुक क्षण होंगे l
फिर वो यह पर्व नहीं मनायेगी
पर हमको याद आयेगी l
डॉ.अनिल कुमार कोरी