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11 Oct 2021 · 1 min read

अक्टूबर में ढमढम (बाल कविता)

बाल कविता: अक्टूबर मे ढ़मढ़म
**************************
बादल आए , पानी बरसा
अक्टूबर में ढमढम,
गर्मी रानी बोली रोकर
अब समझो हम बेदम

एसी बंद करो
पंखे को दिन में सिर्फ चलाना,
आएगा अब नहीं पसीना
मूँगफली बस खाना

रोज रात को हुई जरूरी
गरमा – गरम रजाई,
कुल्फी के दिन गए
चाय की चुस्की मन को भाई
***********************
रचयिता : रवि प्रकाश, रामपुर

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