अकेले चलने की तो ठानी थी
अकेले चलने की तो ठानी थी
रिश्ते नातो के मोह में उलझती चली गई।
उम्र ढलने लगी तो सब रिश्ते दूर होते गए
अब अकेले रहने की वहीं तमन्ना नहीं रही
पर हालात ने अकेला कर दिया।
एक बार फिर उम्मीद संग अकेले चलने की ठानी हूं।
अकेले चलने की तो ठानी थी
रिश्ते नातो के मोह में उलझती चली गई।
उम्र ढलने लगी तो सब रिश्ते दूर होते गए
अब अकेले रहने की वहीं तमन्ना नहीं रही
पर हालात ने अकेला कर दिया।
एक बार फिर उम्मीद संग अकेले चलने की ठानी हूं।