“अकेला”
डॉ लक्ष्मण झा परिमल
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क्यों किसी को
मैं वाध्य करूँ
क्यों किसी को
अपना विचार थोंपू ?
सब स्वतंत्र हैं
जो जी चाहे कहें
अपनी बातों को
सबके सामने रखें !
शिष्टता का ध्यान हो
कटुता से दूर रहो
मृदुलता से बात कहो
पर सदा कहते रहो !
कोई पढे आपको या
नज़रअंदाज करे
मान्यता दे ना दे
आपको इनकार करे !
पांडव क्या कौरव से
युद्ध में हार गया था
शकुनि के प्रपंचों से
कोई निराश हुआ था ?
कलम के हथियारों से
विचार लिखके छोड़ेंगे
जुल्म अत्याचार के
कुरितिओं को तोड़ेंगे !
साथ कोई ना चले
हम चलते जाएंगे
आंसमा पे तिरंगा
शान से फराएंगे !!
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डॉ लक्ष्मण झा परिमल
साउन्ड हेल्थ क्लिनिक
एस 0 पी 0 कॉलेज रोड
दुमका
झारखंड
भारत
31.07.2023