अकेला हूँ ?
मुझे आदत नहीं है फिर भी मै मुस्कुरा ही लेता हूँ
अपने उन गमों के बादलों को छुपा सा लेता हूँ ।
मुझे आदत नहीं है फिर भी मै हंस भी देता हूँ
अपने इन दुखों को हराकर के छुपा सा लेता हूँ ।।
मै नहीं चाहता था अपने इन दुखों को यु छुपाना
मगर लोग होंगे इसी डर से छुपा सा लेता हूँ ।
मै खुद नहीं चाहता था के में अकेला रहना
मगर लोग मजाक बनायेगे , ये सोच कर अकेला रह लेता हूँ ।।
मैं भी चाहता हूँ खेलना कूदना मगर
यहां बड़े है लोग , यहाँ अकेला ही कर लेता हूँ ।
मैं भी चाहता हूँ लोगो के साथ हंसना
मगर लोग पागल समझेंगे ये सोच कर अकेला हंस लेता हूँ ।।