Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
6 Mar 2024 · 1 min read

– अकेला था अकेला ही रहना चाहता हु –

अकेला था अकेला ही रहना चाहता हु –
दुख में पीड़ा में,
संताप में कुंठा में,
ना था साथ में कोई रिश्तेदार,
न ही कोई सदस्य जो कहलाता परिवार,
रिश्ते दार भी दूर हुए,
नही थे पैसे पास,
अपनो ने दिया दगा जो अपनो पर दिया लुटाय,
कहते थे जो है हम अपने तेरे,
मांग लेना मदद समय आने पर आप,
आज जरूरत कुछ आन पड़ी न जब अर्थव्यवस्था पास,
पीछे धर गए पैर सब अपने,
न मदद की उनसे अब आस,
समय बड़ा बलवान है ,
उनको नही यह ज्ञात,
आया है बुरा समय तो अच्छा समय भी आत,
पर इस कठिन परीक्षा ने तुम सब की औकात दिए बतात,
अपने दम पर परिश्रम से,
समय को मोड़ लाऊंगा में,
आएगा जब अच्छा समय धन होगा मेरे भी पास,
आज जो अकेला हु तो परिवार नाम पर कोई नही है,
तब भी ना होगा कोई पास,
क्योंकि अकेला था और अकेला ही रहना चाहता हु,
✍️ भरत गहलोत
जालोर राजस्थान

Language: Hindi
51 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
🍁🌹🖤🌹🍁
🍁🌹🖤🌹🍁
शेखर सिंह
मैं शिक्षक हूँ साहब
मैं शिक्षक हूँ साहब
Saraswati Bajpai
#आज_का_क़ता (मुक्तक)
#आज_का_क़ता (मुक्तक)
*प्रणय*
Nowadays doing nothing is doing everything.
Nowadays doing nothing is doing everything.
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
*पत्रिका समीक्षा*
*पत्रिका समीक्षा*
Ravi Prakash
#खुलीबात
#खुलीबात
DrLakshman Jha Parimal
यह शहर पत्थर दिलों का
यह शहर पत्थर दिलों का
VINOD CHAUHAN
ठंडक
ठंडक
विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’
क्या क्या बदले
क्या क्या बदले
Rekha Drolia
नव वर्ष
नव वर्ष
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
"व्यवहारों की जगह व्यापारों ने ले ली है ll
पूर्वार्थ
कुछ टूट गया
कुछ टूट गया
Dr fauzia Naseem shad
गम में वह कुवत है कि,
गम में वह कुवत है कि,
TAMANNA BILASPURI
वो मेरे प्रेम में कमियाँ गिनते रहे
वो मेरे प्रेम में कमियाँ गिनते रहे
Neeraj Mishra " नीर "
मुक्तक
मुक्तक
Vandana Namdev
केवल पुस्तक से नहीं,
केवल पुस्तक से नहीं,
sushil sarna
संघर्ष भी एक खुशी है
संघर्ष भी एक खुशी है
gurudeenverma198
4336.*पूर्णिका*
4336.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
Pollution & Mental Health
Pollution & Mental Health
Tushar Jagawat
A beautiful space
A beautiful space
Shweta Soni
महात्मा गांधी ,एवम लाल बहादुर शास्त्री पर
महात्मा गांधी ,एवम लाल बहादुर शास्त्री पर
मधुसूदन गौतम
दोहे
दोहे
अशोक कुमार ढोरिया
शाइरी ठीक है जज़्बात हैं दिल के लेकिन
शाइरी ठीक है जज़्बात हैं दिल के लेकिन
Neeraj Naveed
जिंदगी के और भी तो कई छौर हैं ।
जिंदगी के और भी तो कई छौर हैं ।
Ashwini sharma
"अक्षर"
Dr. Kishan tandon kranti
आओ स्वतंत्रता का पर्व
आओ स्वतंत्रता का पर्व
पूनम दीक्षित
*जख्मी मुस्कुराहटें*
*जख्मी मुस्कुराहटें*
Krishna Manshi
मेरी कलम से…
मेरी कलम से…
Anand Kumar
लघुकथा- धर्म बचा लिया।
लघुकथा- धर्म बचा लिया।
Dr Tabassum Jahan
ट्रेन संख्या १२४२४
ट्रेन संख्या १२४२४
Shashi Dhar Kumar
Loading...