अकल का खाता
निकाल निकाल के बाल की खाल.
हाल को किया उन्होने कंगाल.
चुन चुन कर जमा की अकल.
दुनिया को कंगाल खंगाल.
जमा किया उन्होने अकल का बडा सा भंडार.
इसलिये समजते है वो और की अकल भंगार.
समजते हे खुद को अकल की खदान.
इसलिये अपनी चांद पर है उन्हे गुमान.
जमा की है अकल देकर सेकडो बालो की बली.
लेकिन फिर भी है उनके अकल की तिजोरी खाली की खाली.
इसलिये उन्होने इस पर निकाली है एक शकल.
अभी भी जमा करते है अकल के खाते मे अकल.