*अंसारी विवाद*
अंसारी विवाद
सोच समझकर बोलो चच्चा, नाम बड़ा है अंसारी।
थोक के व्यापारी चिल्लर के, मत बन जाना पंसारी।
जिस धरती पर पले बढ़े हो, उस धरती पर डरते हो।
बड़े बड़े पद धारण करके, उल्टा सीधा कहते हो।।
भारत ऐसा मुल्क जगत में, जहाँ मुसलमां निर्भय है।
सुख दुख में सब अपने है फिर, किसी बात का क्या भय है।
मिस्र ईरान इराक पाक में, जिल्लत देखो मुस्लिम की।
सद्दामों के जैसों की भी, हालत होती मुजरिम सी।।
बहुत कठिन है जीना जग में, सोच समझकर बात करो।
बिगड़ी बात नहीं बन सकती, इसी बात से जरा डरो।।
एक हाथ से रोटी बनवा लेना भी है क्या सम्भव ।
धर्मराज की आज जरूरत, तुम क्यों बनते हो कौरव ।।
शांतभाव से बात बनेगी, पर उसकी भी तो हद है।
आतंकी का अंत कराना, भी भारत का मकसद है।।
दहशत वाली बातें करना, अब कक्का जी बन्द करो।
विश्व बंधुता भाव के भारत, से उलझन का अंत करो।।*
जनहित में ही काम कराती, आज हमारी सरकारें।
विश्व पटल पर इसीलिये तो, भारत के हैं जयकारे।।
काश्मीर में दहशतगर्दों, को ही मारा जाता है।
सर का सर से फिर क्यों सबका, ऊपर पारा जाता है।।
ईद दीवाली क्रिसमस मिलकर, सबही पर्व मनातें हैं।
भारत के भीतर में आपस, के जन्मों के नातें हैं।
गलत बात को गलत कहो ही, पर सच को सच बोलो तुम।
सच्चाई के मुद्दे पर तो, ताल ठोककर हो लो तुम।।
भारतमाता की जय बोलो, ये गौरव का नारा है।
सकल विश्व के सब मुल्कों से, प्यारा देश हमारा है।।
वन्दे मातरम बोल सको तो, ये भारत की पूजा है।
नहीं जगत में ऐसा कोई, भारत जैसा दूजा है।।
बगदादी के वंशज बनना, क्या तुमको मंजूर लगे।
तुम तो सच्चे हिंदुस्तानी, जो जग में मशहूर लगे।।
हिन्दू मुस्लिम और सभी की, जान भारती होती है।
संग सङ्ग में यहां अजाने, और आरती होती है।।
नहीं बिगाड़ो बनी बात को, वाणी में संयम धारो।
और एकता की बाधा को, आओ मिलजुलके काटो।।
-साहेबलाल सरल