अंश ब्रह्म का जीव में जैसे
2-अंश ब्रह्म का जीव में जैसे
(A part of god in a soul)
तुम सरसों के पीले फूलों से,
खिल जाते हो शरद ऋतु में,
तुम सूरज की किरण सुनहली,
सागर तल में मोती जैसे,
भर देते मुझको आशा से,
तूफानों के बाद क्षितिज पर,
दिखते हो तारक के जैसे,
तुम विटपों पर कुंजन करते,
मेरे मन के पंछी जैसे,
तुम अधरों पर मृदु गीतों से,
अन्तस् पलते स्वप्नों जैसे,
श्रृंगारित करते हैं हिमकण,
सुबह सवेरे पुष्पों को
दुलराती है पवन प्रेम से,
बाहों में ले झूलों जैसे।
तुम बिन मेरा होना वैसे,
नदिया बिन पानी के जैसे,
प्रेम तुम्हारा हृदय में पलता,
अंश ब्रह्म का जीव में जैसे।
वर्षा श्रीवास्तव
मुरैना(मध्यप्रदेश)