अंबर भी झुक जायेगा
जो चाहेगा वो हो जायेगा
एक दिन शिखर छू जायेगा
तू कोशिश तो करके देख
ये अंबर भी झुक जायेगा।।
सीखें इन चींटियों से कुछ हम
जिनके घर बारिश बहा गई
होती नहीं हताश पलभर भी
फिर से उसे बनाने में जुट गई।।
हर कोशिश सफल नहीं होती
रखो धीरज कोशिश करते रहो
असफलता नए अवसर है देती
सीख लेकर उससे चलते रहो।।
खोया है तू आज थोड़ा है गुमसुम
हार मिली है तो क्या हुआ
रख अपनी कोशिश जारी बिना रुके
कल तुझे जीत भी मिलेगी।।
दिन रात तो मेहनत तूने भी की थी
ऐसा नहीं तेरी कोशिश में कोई कमी थी
बहुत करीब था मंजिल के तू भी
छू लेता मंजिल, अनुभव की थोड़ी कमी थी।।
बस अब थोड़ा और आगे बढ़ना है
मंजिल को अपनी पास लाना है
है यकीं पा लेगा तू मंजिल अपनी
बाद उसके भी सही राह पर जाना है।।
कभी उड़ना नहीं हवा में तू
फैलाना नहीं तू अपने पंखों को
जो भी करना, लेकिन हमेशा
थामे रखना अपनी ज़मीन को।।