अंधेरों ने दिखाया है, उजालों ने छुपाया है
अंधेरों ने दिखाया है, उजालों ने छुपाया है,
बने हमदर्द जो मेरे, उन्ही से दर्द पाया है।
जिस दीये की रौशनी से घर चमकता था,
उसी की लौ ने मेरा घर जलाया है।
मेरी पलकों पे जो बूंदें ठहरती हैं,
उन्हें तेरी ही यादों का सहारा है।
किसी के दर्द पे मरहम लगाते हो,
किसी को दर्द देकर के सताया है।
कहीं आँखों में बनके तुम सुकूँ ठहरी,
कहीं आँखों में तुमने गम बसाया है।
मेरे लिखे हुए नगमे गवाही हैं,
तेरी चाहत को सिद्दत से निभाया है।